मरणासन-सफेद मक्खी |
घोल के प्रभाव से सुस्त हुआ-स्लेटी भूंड। |
डा. यशपाल-कांग्रेस घास के खतरे। |
घोल के स्प्रे से मरणासन-हरा तेला। |
घोल के स्प्रे से सुस्त टिड्डा। |
मे-मक्खी। |
पेन्टू बुगड़ा के अंडे व अर्भक। |
सांठी वाली सूंडी। |
सांठी वाली सूंडी का पतंगा |
घोल के स्प्रे से सुस्त-भूरी पुष्पक बीटल। |
नए कीड़ों के तौर पर महिलाओं ने आज के इस सत्र में कपास के पौधे पर पत्ते की निचली सतह पर सिंगू बुगड़ा के अंडे व अर्भक पकड़े। राजवंती के ग्रुप ने एक पौधे पर मे-फ्लाई का प्रौढ़ देखा। पड़ौस के खेत में सांठी वाली सूंडी व इसके पतंगे भी महिलाएं पकड़ कर लाई। इस सूंडी के बारे में अगले सत्र में विस्तार से अध्यन करने पर सभी की रजामंदी हुई।
सत्र के अंत में समय की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, डा. यशपाल मलिक ने "कांग्रेस घास - नुक्शान व नियंत्रण" पर सारगर्भीत व्याखान दिया जिसे उपस्थित जनों ने पूरे ध्यान से सुना।
सांठी वाली सूंडी जैसी सूंडी हमे अरबी के पत्तों पर मिली
ReplyDeleteक्यों वो यही थी या कोई और मिलती जुलती ?
कुछ कहा नही जा सकता बवेजा जी, बिन देखे।
ReplyDeleteअगर वह अरबी के पत्ते खा रही है तो उसके परभक्षी ढूंढों।
dlal ji jo kaam aap kar rahe he uski koi brabri nahi he
ReplyDeleteek din aesa aayega jab log nidani ki mahilaon se sbak lenge
सामुदायिक सोच, सामूहिक प्रयासों एवं साझे मोर्चे से ही सफलता संभव हो सकती। इसमें आपके मिडिया की सबसे महती भूमिका होगी।
ReplyDeleteजी सही है
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