Tuesday, June 29, 2010

महिला खेत पाठशाला का तीसरा सत्र

निरिक्षण
डा. राजेंद्र चौधरी
रिरोर्ट की तैयारी

आज 29 जून, 2010 को मंगलवार के दिन निडाना गांव में  महिला खेत पाठशाला के तीसरे सत्र आयोजन हुआ। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री डाक्टर राजेंद्र चौधरी जब डाक्टर सुरेंद्र दलाल, डा.कमल सैनी व मनबीर रेढू के साथ सुबह आठ बज कर दो मिनट पर राजबाला के खेत में पहुँचे तो वहाँ महाबीर, दीपक व बसाऊ के अलावा कोई नही था। लेकिन थोड़ी ही देर बाद तीन महिला, इस के थोड़ी देर बाद आठ महिला इस खेत पाठशाला में भाग लेने आ पहुँची। और देखते-देखते ही कुल अठ्ठाईस महिलायें खेत में पाठशाला के लिये स्कूली बच्चों की तरह तैयार होकर कीट प्रबंधन की पढाई करने आ पहुँची। शुरू में आते ही पिछले मंगलवार की पढाई की समीक्षा की गई। इसके बाद सुश्री राजवंती, मीना, केलां, गीता, सरोज व सुन्दर के नेतृत्व में पाँच-पाँच महिलाओं की छ टिम्में बनी। हर समूह दस-दस पौधों का अवलोकन, निरिक्षण करने व कीटों की गिनती करने के लिये  खेत में उतरा। मार्गदर्शी के तौर पर डा.कमल सैनी, मनबीर रेढू, रनबीर मलिक व डा.सुरेंद्र दलाल भी मैदान में उतरे। बैठ कर तमाशा देखने की बजाए डा.चौधरी भी हाथ में मैगनिफाईंग ग्लास लेकर खेत में पौधों पर कीटों का निरिक्षण करने जुट गये। अचानक मीना चिल्लाई- देखना सर, इस तेले के बच्चे की आँखें लाल क्यों हो रही हैं।
 तेले के इस शिशु नै कौनसी दारू पी रखी है- डा. दलाल नै मजाक करते हुए मीना से इस कीट को ध्यान से देखने को कहा।
 मीना ने मैगनिफाईंग ग्लास की सहायता से इस कीट को गौर से देखना शुरू किया और बताया कि सर यह तो कोई चिचड़नूमा कीट है जो तेले के बच्चे का खून चूस रहा है।
तेले का शिकार करती- लाल जूँ
 शाबास, मीना- यह तो आपने हरे तेले का परजीवी ढूँढ लिया। लाल रंग के इस छोटे से परजीवी कीट को परभक्षी कुटकी कहते है। यह कीट कपास की फसल में हरे तेलों के अलावा सफेद-मक्खी, चुरड़ों आदि का भी सफाया करता है। उधर मनबीर ने पत्तों की निचली सतह पर सफेद-मक्खी के शिशु सभी महिलाओं को दिखाए। ठीक इसी समय हरियाणा न्यूज चैनल के श्री रविशंकर अपनी मुहंबोली बिटिया संग इस खेत पाठशाला के कार्यक्रम को कवर करने के लिये आ पहूँचे।
रिपोर्ट की प्रस्तुति
इसके बाद महिलाओं ने अपने-अपने समूह में बैठ कर इस खेत में कपास की फसल पर कीटों की स्थिती बारे चार्ट तैयार किये और हर समूह ने सबके सामने अपनी रिपोर्ट पेश की। हरे तेले, सफेद-मक्खी, चुरड़े व मिलीबग का कपास के इस खेत में पाया जाना तो  सभी समूहों ने कबूला पर इनमें से किसी भी समूह की रिपोर्ट में कोई भी रस चूसक कीट आज के दिन आर्थिक स्तर से उपर नही पाया गया। मांसाहारी मकड़ियों की संख्या औसतन तीन प्रति पौधा पाई गई। मकड़ियों की इतनी संख्या के कारण ही शायद ये रस चूसक कीट अपनी वंश वृध्दि नही कर पाये-डा. कमल ने चुटकी ली और बताया कि मकड़ियाँ ही इन हानिकारक कीटों को चट कर गई। गीता के ग्रुप ने बताया कि उन्होनें आज कपास के एक पत्ते पर सफेद-मक्खी के शिशु के पेट में एन्कार्सिया का बच्चा पलते हुए देखा है। इसी लिये सर मकड़ियों के अलावा इस एन्कार्सिया नामक परजीव्य़ाभ की भूमिका पर भी गौर करना चाहिए। राजवंति ने बताया कि एक-दो कराईसोपा के अण्डे भी मिले हैं।
तेले के शिशु
सभी महिला समूहों की रिपोर्ट हो जाने के बाद रनबीर मलिक ने सभी का ध्यान इस मैदानी सच की ओर दिलाया कि आज के दिन इस खेत में कपास की फसल पर हरे तेले के प्रौढ तो मिले पर इनके निम्फ तकरीबन गायब से हैं।  इस वस्तुस्थिती पर टिप्पणी करते हुए डा. सुरेंद्र दलाल ने सभी को याद दिलाया कि पंखदार प्रौढ कीटों की बजाय इनके पंखविहीन शिशु परभक्षियों के लिये आसान शिकार होते हैं।
पाठशाला के इस सत्र के अन्त में डा. राजेंद्र चौधरी ने अपने मन की भावनाओं को यूँ व्यक्त किया-आज किसान का खर्चा मुख्यतौर पर तीन चिजों- खाद, बीजों व किटनाशकों पर होता है। निडाना में पिछले तीन सालों से जारी इन खेत पाठशालों में जारी प्रयोगों ने किसान का किटनाशकों पर होने वाला खर्चा तो लगभग खत्म सा ही कर दिया। उन्होने आशा कि की आने वाले दिनों में किसानों के अपने अनुभव से बीज और खाद के खर्चे भी कम होंगे। उन्होने यह भी कहा कि इस पाठशाला के माध्यम से खेती में महिलाओं की भूमिका को स्वीकार कर के एक ऩई शुरूआत की गई है। उन्होने आशा प्रकट की कि आज जो निडाना में हो रहा है वह कल पूरे हरियाणा में होगा। यह नई राह दिखाने के लिए निडाना गांव का आभार जताया।

Tuesday, June 22, 2010

महिला खेत पाठशाला का दूसरा सत्र

महिलाओं के साथ- डा. नीना सुहाग
सर्वेक्षण
एकाग्रता।
मंगलवार का दिन हिन्दुओं में हनुमान के नाम होता है| मंगलवार के दिन लुगाईयों की बजाय लोग ही बरती रहते है। हनुमान के मंदिर में लुगाईयों का तो प्रवेश तक वृजित होता था।  नकली या घटिया घी में तैयार प्रसाद बाँटना इस दिन शाम को आम नजारा होता है| इस दिन ज्यादातर नाई भी हनुमान जी से डर कर या श्रदावश अपनी दुकान बंद रखते हैं| परन्तु इनसे हटकर निडाना गावं में यह मंगलवार का दिन महिलाओं ने अपनी खेत पाठशाला के नाम मुकर्र किया है| आज सुबह सवेरे ही महिलायें घर के काम निपटा कर आठ बजे ही राजबाला पत्नी कर्ण सिंह के खेत में पहुँच चुकी थी| उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों का इंतजार किये बगैर ही कपास के इस खेत में पौधों का अवलोकन व् निरिक्षण शुरू कर दिया था| भूमि संरक्षण अधिकारी, डा.नीना सुहाग जब डा.सुरेन्द्र दलाल व् मनबीर के साथ इस पाठशाला में पहुंची तो महिलाएं खेत में कीटों का निरक्षण कर रही थी| सुबह सवेरे महिला अधिकारी को अपने बीच पाकर इन महिलाओं की ख़ुशी का ठिकाना नही रहा| महिलाओं ने लस्सी पिलाकर अपनी इस अधिकारी का स्वागत किया | इसके बाद इन महिलाओं ने पांच-पांच के समूह बनाए| हर ग्रुप ने अपने साथ एक-एक उत्प्रेरक लिया| एक टोली के साथ जिले के कीट विशेषज्ञ किसान मनबीर रेड्हू, दुसरे ग्रुप के साथ डा.कमल सैनी, तीसरे समूह के साथ डा.सुरेन्द्र दलाल, चौथे समूह के साथ रणबीर मालिक व् पांचवे समूह के साथ मीना मालिक थी| सभी समूहों ने दस-दस पौधों का बारीकी से निरिक्षण किया व् इन पौधों के तीन-तीन पत्तों पर कीटों की गिनती की| खेत की बाड़ पर खड़े वृक्षों की छांव में बैठकर महिलाओं ने आज की अपनी इस कार्यवाही की रिपोर्ट चार्टों पर तैयार की।  इसके बाद हर समूह ने अपने ग्रुप लीडर की मार्फत अपनी-अपनी प्रस्तुति दी| आज कपास के इस खेत में हानिकारक कीटों के रूप में सफ़ेद मक्खी, ह्ऱा-तेला, चुरडा व् मिलीबग की उपस्तिथि तो सभी समूहों ने दर्ज कराई पर इनमे से कोई भी कीट आर्थिक- दहलीज़ को पार करते हुए नही पाया गया| महिला-समूहों की इस प्रस्तुति का निचोड़ पेश करते हुए डा.कमल सैनी ने बताया की आज के दिन इस फसल पर किसी भी कीटनाशक का छिडकाव करने की कोई आवश्यकता नही है| लाभदायक कीटों के रूप में अभी तक इस खेत में सिवाय मकड़ियों के कोई भी कीट नही देखा गया| पर इस बात मीणा मलिक ने सैनी सर को याद दिलाया की आज हमने मिलीबग को परजीव्याभीत करने वाला अंगीरा भी तो देखा है| डा.दलाल ने भी इस छात्रा की हाँ में हाँ मिलाई और मौके पर सभी को अंगीरा से परजीव्याभित मिलीबग दिखाए जिनके शरीर से आटानूमा पाउडर उड़ चुका था तथा इनका शरीर लाली लिए भूरा पड़ चुका था| इस ख़ुशी की सुचना पर सभी महिलाओं ने तालियाँ बजाई| मनबीर रेड्हू ने मिलीबग की जानकारी महिलाओं को देते हुए इसकी दो खास कमजोरियों को उजागर किया| एक तो मिलीबग की मादा पंखविहीन होती है तथा दुसरे यह अपने अंडे थैली में देती है। इन दो कमजोरियों के चलते मिलीबग नाम का यह भस्मासुर आसानी से परभक्षियों का शिकार हो जाता है| राजवंती मलिक ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि हमारे ग्रुप ने तो आज पौधों की ऊँचाई भी नापी है| इस खेत में औसतन पौधों की उचाई आठ-नौ इंच पाई गई है| कार्यक्रम के अंत में डा.नीना सुहाग ने कृषि विभाग की भूमि संरक्षण शाखा द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्किम्मों बारे विस्तार से जानकारी दी व महिलाओं से वादा किया कि जब भी निडाना गावँ की महिलाएं उनके कार्यालय किसी भी कार्य से आयेंगी, वे हमेशा उनकी सेवा में तैयार पाएंगी| इस खेत पाठशाला के कार्य को नजदीक से समझने के लिए भू.पु.सरपंच बसाऊ राम के साथ रागनी गायक व लेखक राजबीर सिंह ने भी इस खेत में तीन घंटे बिताये|
बसाऊ नै बैठे-बैठे ही एक रागनी की टेक लिखने की कौशिश भी की. बोल कुछ यूँ थे-
"गधां तक बाह लिए, इब पड़गा खेत में जाना रै.
सीखूंगा भै सीखूंगा, मैं इब खेत क्यार कमाना रै"
बसाऊ तो टेक तक सिमित रह लिया पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से लेडी बिट्लों पर एक गीत घड़ लिया और इसकी पहली प्रस्तुति अपनी चहेती कीट-वैज्ञानी डा.सरोज जयपाल के सामने ही उनको समर्पित की.
पाठशाला के कार्य से निपट कर अनीता मलिक ने प्रशिक्षकों क़ी इस पूरी टीम को अपने घर पर जल-पान करवाया|

Tuesday, June 15, 2010

महिला खेत पाठशाला का पहला सत्र

पाठशाला में आते हुए-महिलाएँ
कीट अवलोकन व निरिक्षण
मिलीबग
आज महिला खेत पाठशाला का पहला सत्र  निडाना गावँ में डिम्पल पत्नी विनोद के खेत में शुरू हुआ | सुबह आठ बजे ही महिलाओं का पहला  जत्था  कपास की खेती के प्रशिक्षण हेतु इस खेत में पहुच चूका था | महिलाओं का यह पहला जत्था अपने साथ पीने के पानी का भी जुगाड़ करके लाया था | महिलाएं इस नई किस्म की पाठशाला के लिए आज गीत गाते हुए खेत में पहुंची थी | गीत के बोल थे,
" लपरो-मनियारी हे! मनै लगै प्यारी हे!! 
हमनै खेत में बैठी पाईये हे!  
म्हारी बाड़ी के कीड़े खाईये हे!!!!"   
अवलोकन
              डा सुरेन्द्र दलाल के लिए यह अपने आप में एक अनोखा अनुभव था|  किसी भी खेत पाठशाला के लिए पुरुषों में तो इतना हौंसला व चाव उसने कहीं भी कभी नहीं देखा था|
हरा तेला
डा. कमल सैनी ने इस खेत पाठशाला के लिये महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया। पंजीकरण करते समय प्रत्येक महिला के बारे में उसकी उम्र, स्कूली शिक्षा, पीहर व् कपास अधीन क्षेत्र का ब्यौरा भी दर्ज किया गया. पंजीकरण के बाद डा.कमल सैनी ने बताया कि सुदेश व् मिनी बी.ए.पास हैं. सरोज मैट्रिक पास है. गीता व् कमलेश मिडल तक पढ़ी-लिखी हैं. इस पाठशाला की शेष महिलाओं ने स्कुल का मुहं नही देख रखा. इन महिलाओं ने कुल मिला कर निडाना गावं में 128 एकड़ में कपास की बिजाई कर रखी है. इन महिलाओं का पीहर हरियाणा के सोनीपत, रोहतक, भिवानी, हिसार व् जींद जिलों में पड़ता है.  
         इस पाठशाला की औपचारिक शुरुवात करते हुए डा.सुरेन्द्र दलाल ने उपस्तिथ महिलाओं को इस खेत पाठशाला के लक्ष्य और उद्देश्य विस्तार से बताये| इसके राजनितिक एवं व्यापारिक मायने महिलाओं को समझाते हुए किसान और कीटों की इस अंतहीन जंग के चक्रव्यूह में फंसे किसान रूपी अभिमन्यु को बाहर निकालने के लिए बेहतर सैनिकों के रूप में विकसित होने की अपील की| उन्होंने हरियाणा की धरती पर लड़ी गई सबसे घातक जंग महाभारत  की तुलना पिछले तीन दशकों से किसानों व् कीटों के मध्य जारी इस कीट-युद्ध से  करते हुए महिलाओं को बताया की महाभारत की लड़ाई इतनी भयावह थी कि आज भी हिन्दू इस जंग की किताब को अपने घर में रखते हुए डरते हैं| लेकिन फिर भी यह लड़ाई सिर्फ अठारह दिन में अपने मुकाम पर पहुँच गई थी| पर किसान व् कीटों की यह जंग पिछले पच्चीस सालों से रुकने का नाम नही ले रही| इन दोनों जंगों के मुख्य भेदों पर चर्चा करते हुए डा.दलाल ने बताया कि महाभारत की लड़ाई में दोनों पक्षों को एक दुसरे की सही व् ठोस जानकारी थी| एक दुसरे की रिश्तेदारियों व् गतिविधियों का पूरा भेद था| पांडवों को कौरवों की सही पहचान, पुरे भेद व इनकी सारी कमजोरियों का इल्म था| इसी तरह कौरवों को भी पांडवों के बारे में तमाम किस्म की जानकारियां थी| जबकि इस कीटों व किसानों की वर्तमान जंग में किसानों व इनके नेतृत्व को कीटों की सही पहचान व भेद मालूम नही है| दूसरा मुख्य फर्क हथियारों को लेकर है| महाभारत में हर योद्धा के पास दो तरह के हथियार थेः सुरक्षात्मक हथियार व् जानलेवा हथियार| लेकिन आज हमारे किसानों के पास तो सिर्फ कीटों को मारने के मारक हथियार भर ही हैं अर् वो भी बेगाने| इसीलिए तो यह जंग ख़त्म होने का नाम नही ले रही| अत: हमारी इस पाठशाला में मिलजुल कर सारा जोर कीटों एवं इनकी विभिन्न अवस्थाओं की सही पहचान करने, इनके भेद जानने तथा इस जंग में अपने खुद के हथियार विकसित करने पर रहेगा|   
                डा. दलाल ने आगे बात बढ़ाते हुए इन महिलाओं को यह भी बताया कि हमारे कीट-वैज्ञानिक  कीट उन रीढ़विहीन संधिपादों को कहते हैं जिनका शरीर तीन भागों में बटा हुआ हो  तथा छ: जोड़ी टांग हो. मतलब इनके शरीर के तीन भाग सिर, धड व पेट होते हैं. कीट की आँखें, मुहं व एंटीना आदि इसके सिर पर होते है. इनकी टाँगें व पंख धड पर होते हैं. कीटों की छ: जोड़ी टाँगें व अमूमन दो जोड़ी पंख होते हैं.  आमतौर पर  कीटों के जीवन की अंडा, लार्वा, प्यूपा व प्रौढ़ नामक चार अवस्थाएं होती हैं. भोजन की तासीर के अनुसार कीट दो प्रकार के होते हैं-मांसाहारी( लाभदायक ) व शाकाहारी( नुकशानदायक )| इस दुनिया में मांसाहारी कीटों की गिनती किसान मित्रों के रूप में होती है जबकि शाकाहारी कीटों को किसानों का दुश्मन समझा जाता है. कीट चाहे मांसाहारी हों या शाकाहारी पर मुहं की बनावट के हिसाब से मुख्य रूप से दो ही प्रकार के होते हैं-चूसक कीट  व चर्वक कीट | कीटों का खून वायु के संपर्क में आने पर भी जमता नही.
इसके बाद महिलाओं ने मिनी, कमलेश, राजवंती, गीता सरोज व् सुदेश के नेतृत्व में ग्रुपों का गठन किया व् अवलोकन व निरिक्षण के लिए पांच-पांच की टोलियों में कपास के खेत में उतरी| हरेक टोली के पास छोटे-छोटे कीट देखने के लिए मैग्नीफाईंग-ग्लास थे| लिखने के लिए कापी और पैन था| एक घंटे की माथा-पच्ची के बाद महिलाओं ने चार्टों पर रिपोर्ट तैयार की व् सबके सामने प्रस्तुत की| रिपोर्टों से निष्कर्ष निकला कि आज के दिन इस कपास के खेत में हरे-तेले, सफ़ेद-मक्खी, चुरड़े मिलीबग देखे गये हैं परन्तु इनकी संख्या काफी कम है| अभी ये रस चूसकर हानि पहुँचाने वाले कीड़े कपास की फसल को हानि पहुँचाने की स्थिति में नही हैं। इनके अलावा इस खेत में महिलाओं ने आज दो तरह के टिड्डे भी देखे जो पत्तों को खा रहे थे। जिला जींद के कीट विशेषज्ञ किसान मनबीर रेड्हू रणबीर मलिक इस पाठशाला में महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिये हर मंगलवार को नियमित तौर पर आया करेंगे।


 महिलाएं जिन्होंने इस खेत पाठशाला में दाखिला लिया: 
  1. अनीता          
  2. सुंदर    
  3. राजबाला  
  4. बिमला
  5. प्रकाशी   
  6. संतरा  
  7. केलो  
  8. बीरमती   
  9. सरोज   
  10. राजवंती  
  11. नन्ही   
  12. मिनी   
  13. रानी   
  14. कमलेश मलिक  
  15. बिमला पंडित  
  16. कमला   
  17.  कविता 
  18. बिमला
  19. मीना   
  20. लाड्डो    
  21. संतरों  
  22. सरोज  
  23. प्रोमिला    
  24. अंग्रेजो   
  25. कृष्णा   
  26. सुदेश  
  27. कमलेश 
  28. गीता
  29. बिमला 
  30. सरोज