आज भी सुबह से ही निडाना के आसमान में चारों ओर बादलों का डेरा है तथा इसी आसमान में लोपा मक्खियाँ (ड्रैगन फलाईज्) भी जमीन के साथ-साथ मंडरा रही हैं। इसका सीधा सा मतलब हैं कि आज भी भारी बरसात होने वाली है। इस गाँव में पिछले पाँच सप्ताह से हर मंगलवार को होने वाली बुंदा-बांदी या बरसात को लेकर दो तरह की चर्चा है। कुछ लोग तो कहते हैं कि इस पाठशाला वाले बड़े भाग्यवान हैं कि हर मंगल को गाम में बरसात करवा देते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ये कृषि विभाग वाले लोग कुछ नही जानते अर जिस खेत में बड़ जा, उड़ै दाना नही जामां करै। इन चर्चाओं के मध्य ही आज निडाना की महिला खेत पाठशाला का सातवाँ सत्र शुरु होने जा रहा है। इस महिला खेत पाठशाला के मैदानी सच को जानने, इसकी बारिकियों को समझने व इसकी व कवरिंग के लिये, इंडिया न्यूज, हरियाणा चैनल के रिपोर्टर, श्री सुनील मोंगा भी अपने कैमरामैन रोहतास भोला के साथ खेत में मौके पर पँहुचे। सत्र की शुरुवात में डा. कमल सैनी की देखरेख में, महिलाओं द्वारा पिछले काम की समीक्षा की गई। इसके बाद महिलाओं ने पाँच-पाँच के समूह में दस-दस पौधों पर कीट अवलोकन, निरिक्षण व गणना का कार्य किया। बूंदा-बांदी के चलते सुअर फार्म पर ही आज कपास की फसल में कीटों की स्थिति का आकलन व विशलेषण किया। इसके आधार पर ही महिलाओं ने घोषणा की कि आज के दिन इस फसल में कोई भी कीट हानि पँहूचाने की स्थिति में नही हैं। कराईसोपा, दिखोड़ी, लोपा मक्खी, डायन मक्खी, लेडि बीटल्ज, व विभिन्न बुगड़े आदि लाभदायक कीटों की उपस्थिति की भी रिपोर्ट महिलाओं ने की। आज महिलाओं ने इस खेत में चितकबरी सूंडी का प्रौढ़ पतंगा भी देखा व मांसाहारी कीट हथजोड़ा का शिशु भी देखा। डा. दलाल ने इस हथजोड़े की खाती के सरोत जैसी अगली टांगें भी महिलाओं को दिखाई। आज तो डायन मक्खी को एक पतंगे का शिकार करते हुए भी मौके पर सभी ने देखा. यह सारी कार्यवाही रणबीर मलिक व मनबीर रेढ़ू की अगुवाई में हुई। सुनील मोंगा ने आज पाठशाला के इस सत्र की कार्यवाही की कवरेज की तथा उन्होंने मुक्त-कँठ से महिलाओं की इस पाठशाला की भुरी-भुरी प्रशंसा की, खासकर उनकी लगन, निष्ठा व चाव की। उन्होने महिलाओं को बताया कि उनकी यह कीटों के विरुद्ध जंग अकेले कीटों के खिलाफ ही नही है बल्कि यह जंग तो बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कीटनाशक कम्पनियों के खिलाफ भी है। इसलिये इस जंग की तैयारियों के लिये उन्हे बहुत ज्यादा मेहनत व लगन से काम करना होगा। आपकी यह जंग हिंदुस्तान की जनता के स्वस्थ के लिए बहुतलाभदायक होगी.
लोपाः ड्रैगन फलाई।
गोभ वाली सूंडी का प्रौढ़ पतंगा।
सुदेश का ग्रुप
हथजोड़ाः प्रेईंग मैन्टिस का शिशु
महिला खेत पाठशाला के इस सातवें सत्र के अन्त में कृषि विकास अधिकारी डा. सुरेन्द्र दलाल ने उपस्थित महिला किसानों को बताया कि कपास की भरपूर फसल लेने के लिए किसान का जागरूकहोना अति आवश्यक है। उन्हें एक तरफ तो अपनी फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए व दूसरीतरफ हानिकारक कीटों व लाभदायक कीटों की पहचान कर कीटनाशक के स्प्रे करने का सही समय पर सही फैसला लेना चाहिए। किसानों को जानकारी होनी चाहिए कि बहुत सारे खरपतवार हानिकारक कीटों के लिये वैकल्पिक आश्रयदाता का काम करते हैं और इन खरपतवारों पर पल रहे शाकाहारी कीटों की आबादी पर मांसाहारी कीटों का फलना-फुलना निर्भऱ करता है। अगर फसल में दोनों तरह के कीट साथ-साथ आते हैं तो हमारी फसल में कीटों का नुक्शान नही होगा। अतः सड़कों, कच्चे रास्तों, नालों, खालों, मेंढों आदि पर उग रहे कांग्रेस घास, आवारा सूरजमुखी, उल्ट कांड, धतूरा, कचरी, भम्भोले आदि खरपतवारों को आँख मिच कर नष्ट नही करना चाहिए। बल्कि इन पौधों पर दोनों तरह के कीटों की वास्तविक स्थिति का जायजा लेकर ही इस बारे में कोई ठोस फैसला लेना चाहिये। डा. सुरेन्द्र दलाल ने महिलाओं को बताया कि कपास की फसल सम्मेत तमाम खरपतवारों पर इस समय मिलीबग के साथ-साथ इसकोखत्म करने वाले अंगीरा(ANGIRA), फंगीरा(FANGIRA) व जंगीरा(JANGIRA) नामक परजीवी भी बहुतायत में मौजूदहैं। इनमें से अंगीरा नामक परजीवी तो अकेले ही 80-90 प्रतिशत तक मिलीबग कोनष्ट कर देता है। आज महिलाओं ने ललित खेड़ा में किसानों की सहायता से तैयार इस अंगीरा की एक वीडियों भी श्री सुनील मोंगा को दिखाई.
डा. सुरेन्द्र दलाल ने महिलाओं को याद दिलाया कि फसल में मित्र कीट भी दुश्मन कीटों को अपना भोजन बनाकर कीटनाशकों वाला ही काम करते हैं। इस लिए फसल पर कीटनाशक काछिड़काव करने का फैसला लेने से पहले फसल का निरीक्षण करना, हानिकारक कीटों व मित्र कीटोंकी संख्या नोट करना व सही विशलेषण करना अति जरूरी है।
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