भाई व बहन के प्यार के प्रतीक रक्षाबंधन के
त्योहार पर आप ने बहनों को भाइयों की कलाइओं पर राखी बांधते हुए तो खूब
देखा होगा, लेकिन कभी देखा या सुना है कि किसी लड़की या किसी महिला ने कीट
को राखी बांधकर अपना भाई माना हो और कीट ने उसे राखी के बदले कोई शुगुन
दिया हो नहीं ना। लेकिन निडाना व ललीतखेड़ा गांव की महिलाओं ने रक्षाबंधन
के अवसर पर कीटों की कलाइयों पर बहन का प्यार सजाकर यानि राखी बांधकर ऐसी
ही एक नई रीति की शुरूआत की है। महिलाओं ने कीटों के चित्रों पर
प्रतिकात्मक राखी बांध कर इन्हें अपने परिवार में शामिल कर इनको बचाने का
संकल्प लिया है। कीट मित्र महिला किसानों ने बुधवार को ललीतखेड़ा गांव में
पूनम मलिक के खेतों पर आयोजित महिला किसान पाठशाला में रक्षाबंधन के अवसर
पर मासाहारी कीटों के चित्रों पर राखी बांध कर कीटों को भाई के रूप में
अपना लिया। इसके साथ ही इन अनबोल मासाहारी कीटों ने भी इन महिला किसानों को
शुगुन के रूप में उनकी थाली से जहर कम करने का आश्वासन दिया। रक्षाबंधन के
आयोजन से पहले महिला किसान पाठशाला की रूटिन की कार्रवाई चली। महिला
किसानों ने कपास की फसल का अवलोकन कर कीट बही-खाता तैयार किया।
निडाना व ललीतखेड़ा की महिला किसान पाठशाला की महिलाओं ने भाई-बहन के प्यार
के प्रतिक रक्षाबंधन के पर्व पर कीटों को राखी बांधकर नई परंपरा की शुरूआत
की है। इन महिला किसानों द्वारा शुरू की गई इस नई परंपरा से जहां कीटों को
तो पहचान मिलेगी ही, साथ-साथ हमारे पर्यावरण पर भी इसके सकारात्मक प्रभाव
पड़ेंगे। कीट मित्र महिला किसानों ने बुधवार को महिला किसान पाठशाला में
मासहारी कीट हथजोड़े को राखी बांधकर सभी मासाहारी कीटों को अपना भाई
स्वीकार कर उन्हें अपने परिवार का अंग बना लिया। महिलाओं ने राखी बांधकर यह
संकल्प लिया कि वे फसल में मौजूद कीटों की सुरक्षा के लिए अपनी फसल में
किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग नहीं करेंगी। इसके साथ-साथ महिलाओं ने
‘हो कीड़े भाई म्हारे राखी के बंधन को निभाना’ गीत गाकर कीटों से राखी के
शुगुन के तौर पर उनकी फसल की सुरक्षा करने की विनित की। महिलाओं ने
रक्षाबंधन की पूरी परंपरा निभाई तथा कीटों के चित्रों को राखी बांधने के
बाद उनकी आरती भी उतारी। इसके अलावा महिलाओं ने ‘ऐ बिटल म्हारी मदद करो
हामनै तेरा एक सहारा है, जमीदार का खेत खालिया तनै आकै बचाना है’,
‘निडाना-खेड़ा की लुगाइयां नै बढ़ीया स्कीम बनाई है, हमनै खेतां में
लुगाइयां की क्लाश लगाई है’, ‘अपने वजन तै फालतु मास खावै वा लोपा माखी आई
है’ आदि भावुक गीत गाकर किसानों को झकझोर कर रख दिया। अंग्रेजो, गीता मलिक,
बिमला मलिक, कमलेश, राजवंती, मीना मलिक ने बताया कि किसान जानकारी के अभाव
में अपनी फसल के रक्षकों के ही भक्षक बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि फसल
में दो प्रकार के कीट होते हैं एक शाकाहारी व दूसरे मासाहारी। मासाहारी मास
खाकर अपनी वंशवृद्धि करते हैं। शाकाहारी फसल के फूल, पत्ते खाकर व इनका रस
चूसकर अपना जीवनचक्र चलाते हैं। खान-पान के अधार पर शाकाहारी कीट भी दो
प्रकार के होते हैं। एक डंक वाले व दूसरे चबाकर खाने वाले। पाठशाला की
शुरूआत के साथ ही महिलाओं ने अपने रूटिन के कार्य पूरे किए। महिलाओं ने फसल
का अवलोकन कर कीट बही-खाता तैयार किया। बही-खाते में दर्ज रिपोर्ट के आधार
पर फसल में अभी तक किसी भी प्रकार के कीटनाशक की जरुरत नहीं थी। इस अवसर
पर पाठशाला के संचालक डा. सुरेंद्र दलाल के साथ खाप पंचायतों के संयोजक
कुलदीप ढांडा, कीट कमांडो किसान रणबीर मलिक, मनबीर रेढू, रमेश सहित अन्य
किसान भी मौजूद थे।
140 पर पहुंची कीटों की गिनती
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कीटों को राखी बांधने से पहले थाली सजाती महिलाएं। |
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कीटों को राखी बांधने से पहले थाली सजाती महिलाएं। |
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हथजोड़ा नामक कीट के चित्र की आरती उतारती महिलाएं। |
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हथजोड़ा नामक कीट के चित्र पर तिलक करती महिलाएं |
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बहना की कलाई पर राखी बंधवाने पहुँचा - मटकू बुग्ड़ा
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