ललीतखेड़ा गांव की किसान पूनम मलिक के खेत में चल रही महिला
किसान पाठशाला में बुधवार को महिलाओं ने बुंदाबांदी के मौसम में भी कीट
अवलोकन एवं निरीक्षण किया। कीट निरीक्षण के दौरान पाया गया कि अभी तक कपास
की फसल में मौजूद रस चूसक कीट सफेद मक्खी, हरा तेला व चूरड़ा फसल में
आर्थिक कागार को पार नहीं कर पाए हैं। प्रेम मलिक ने पाठशाला में मौजूद
महिला किसानों के समक्ष कपास के खेत में मौजूद तेलन के प्रति अपनी आशंका
जताते हुए पूछा की तेलन कपास की फसल में क्या करती है। क्योंकि प्रेम मलिक
पिछले सप्ताह अपनी कपास की फसल में तेलन नामक कीट के क्रियाकलापों को देखकर
चिंतित थी। प्रेम मलिक ने महिलाओं को तेलन के क्रियाकलापों का जिकर करते
हुए बताया कि तेलन कपास के पौधों पर बैठकर कपास के फूलों को खा रही थी।
जिससे कारण उसे फसल के उत्पादन की चिंता सता रही है। महिलाओं ने प्रेम मलिक
की समस्या का समाधान करने के लिए फसल में मौजूद तेलन के क्रियाकलापों को
बड़े ध्यान से देखा। महिलाओं ने पाया कि तेलन द्वारा अधिकतर कपास के फूलों
की पुंखडि़यों व फूल के नर पुंकेशर ही खाए हुए थे, जबकि स्त्री पुंकेशर
सुरक्षित था। महिलाओं ने महिला किसान की समस्या का समधान धान करते हुए कहा
कि जब तक फूल में स्त्री पुंकेशर सुरक्षित है तब तक फसल के उत्पादन पर कोई
प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि तेलन इस प्रक्रिया में परागन करवाने की
भूमिका भी निभाएगी। मीना मलिक ने बताया कि तेलन अपने अंडे जमीन में देती
है और इसके अंडों में से निकलने वाले बच्चे दूसरे कीटों के अंडों व बच्चों
को खाकर अपना गुजारा करते हैं। इनमें खासकर टिडे के बच्चे शामिल हैं। इसलिए
जिस वर्ष कपास में तेलन की संख्या ज्यादा होगी उस वर्ष टिडे कम मिलेंगे।
रणबीर मलिक ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह तेलन पिछले वर्ष उसकी देसी
कपास में भी आई थी। जिसे देखकर उसके माथे पर भी चिंता की लकीरे पैदा हो गई
थी, लेकिन यह जल्द ही कपास के फूलों को छोड़कर जंतर (ढैंचा) के फूलों पर
चली गई थी। लेकिन इसमें ताज्जुब की बात यह है थी कि तेलन द्वारा जंतर पर
चले जाने के बाद भी जंतर की एक भी फली खराब नहीं हुई। सुषमा मलिक ने बताया
कि कपास की फसल का जीवन चक्र 170 से 180 दिन का होता है और अब फिलहाल कपास
की फसल 100 दिन के लगभग हो चुकी है। लेकिन अब तक पाठशाला में आने वाली किसी
भी महिला को अपनी फसल में एक छटांक भी कीटनाशक के प्रयोग की जरुरत नहीं
पड़ी है। इसलिए तो कहते हैं कीट नियंत्रणाय कीट हि: अस्त्रामोघा। अर्थात
कीट नियंत्रण में कीट ही अचूक अस्त्र हैं।
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कपास के फूलों की पुंखडि़यों को खाती तेलन |
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कपास की फसल का निरीक्षण करती महिला किसान। |
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खेत में कीटों का अवलोकन करती महिलाएं |
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