Tuesday, October 19, 2010

महिला खेत पाठशाला का उन्नीसवां सत्र


अनीता राजबाला को कीट दिखाते हुए.
निडाना के पूर्वी आसमान में दिनकर की लेटलतीफी व किसानों के कन्धों पर काम की मारामारी को मध्यनज़र रखते हुए विद्यार्थियों ने इस खेत पाठशाला की पहली घंटी बजाने का समय अब प्रात: नौ बजे का कर रखा है. घर के काम-काज निपटा कर तकरीबन सभी महिलाएं नौ और साढ़े नौ के बीच  खेत पाठशाला में पहुच जाती हैं. आज भी यही हुआ. पाठशाला शुरू होते ही महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक में कार्यरत अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डा.राजेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में सोनीपत, झज्जर व रोहतक जिलों के पाँच गावँ से किसानों का एक जत्था भी इन महिलाओं से विचार साझा करने इस पाठशाला में पहुँचा.गौरतलब है कि इस जत्थे में डीघल गावं से  एक महिला किसान राजबाला भी शामिल थी.इस जत्थे में डीघल गावं से ही तेज़ प्रकाश, बहुज़मालपुर से नरेश बल्हारा, भूरैन से फौजी ओमप्रकाश, आहुलाना से रनबीर व लाखनमाज़रा से नारायण सम्मेत अनेक किसान थे.  मिनी मलिक, सुदेश, रणवीर मलिक व डा.कमल सैनी ने इस जत्थे का निडाना पहुँचने पर स्वागत किया. आपस में परिचय के बाद पाठशाला की महिलाओं ने इन मेहमानों को कपास के इस खेत में देखे गये कीटों के बारे में फ्लेक्स बोर्डों के माध्यम से जानकारी दी. इस काम में आज कमलेश, राजवंती, अंग्रेजों, गीता, सुदेश, मिनी अनीता ने महिलाओं की अगवाई की. इसके बाद महिलाएं अपने चिर-परिचित समूह बनाकर कीट अवलोकन व निरिक्षण के लिए कपास के खेत में उतरी. इन महिलाओं के हर ग्रुप के साथ दो-दो मेहमान किसान भी शामिल हो लिए. भिड़ते ही अनीता ने अपने मेहमानों को मिलीबग का आक्रमण व इसे नियंत्रण करने वाला अंगिरा दिखाया. बीरमतीप्रकासी के ग्रुप ने नगीना बग दिखाया और बताया कि यह बग कपास की फसल में रस चूस कर थोड़ी-बहुत हानि पहुँचाता है. इससे डरने की कोई बात नही. आध-पौन घंटे में ही निडाना की इन महिलाओं ने मेहमान किसानों को दर्जनों शाकाहारी एवं मांसाहारी कीट कपास की इस फसल में दिखाए. इन महिलाओं ने मेहमानों को बताया कि हर शाकाहारी कीट फसल के लिए हानिकारक नही होता. इसीलिए तो हर किसान को फसलों में पाए जाने वाले सभी कीटों कि पहचान एवं जानकारी होना लाजिमी है. इसीलिए तो हम हर हफ्ते मंगलवारके दिन हम राजबाला के इस खेत में कपास की फसल में पाए जाने वाले कीड़ों का हिसाब लगाती हैं.  हानिकारक कीटों का आर्थिक स्तर देखती हैं. मित्र कीटों की संख्या देखती हैं. इन सभी बिन्दुओं को ध्यान में रख कर कीटनाशकों के इस्तेमाल करने या ना करने का फैसला करती हैं. ख़ुशी की बात है कि मजबूत पारिस्थितिक-तंत्र के चलते हमे बुवाई से लेकर अभी चुगाई तक कपास की फसल में कीड़े काबू करने के लिए एक बार भी कीटनाशकों के प्रयोग की जरुरत नही पड़ी. हमने खेत के कच्चे रास्तों, खेत की बाड़ व डोले एवं नालियों के किनारे खड़े गैरफसली पौधों को ना तो उखाड़ा ही और ना ही इनसे कोई छेड़खानी की. इन गैरफसली पौधों ने ही यहाँ के स्थानीय पारिस्थितिक-तंत्र को हमारे हक में मोड़ने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.



अब महिलाओं के हर ग्रुप ने चार्टों क़ी सहायता से अपनी-अपनी रिपोर्ट सबके सामने प्रस्तुत की. सबकी रिपोर्ट सुनने पर मालूम हुआ कि इस सप्ताह भी राजबाला के इस खेत में कपास की फसल पर तमाम नुक्शानदायक कीट हानि पहुँचाने के आर्थिक स्तर से काफी नीचे हैं तथा हर पौधे पर मकड़ियों की तादाद भी अच्छी खासी है. इसके अलावा लेडी-बीटल, हथजोड़े, मैदानी-बीटल, दिखोड़ी, लोपा, छैल, व डायन मक्खियाँ, भीरड़, ततैये व अंजनहारी आदि मांसाहारी कीट भी इस खेत में नजर आये हैं. मिलीबग के नियंत्रण में खास योगसन देने वाला परजीव्याभ अंगिरा भी इस खेत में सक्रिय है.  सभी मेहमान एवं पाठशाला की महिलाएं इस बात पर सहमत हुई कि इस सप्ताह भी कपास के इस खेत में राजबाला को कीट नियंत्रण के लिए किसी कीटनाशक का छिड़काव करने की आवश्यकता नही है. यहाँ गौर करने लायक बात यह है कि रानी, बिमला, सुंदर, नन्ही, राजवंती, संतराबीरमती आदि को भी अपने खेत में कपास की बुवाई से लेकर अब चुगाई तक कीट नियंत्रण के लिए कीटनाशकों के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं पड़ी. इनके खेत में कीट नियंत्रण का यह काम तो किसान मित्र मांसाहारी कीटों, मकड़ियों, परजीवियों तथा रोगाणुओं ने ही कर दिखाया.
हालाँकि जत्थे में शामिल लाखनमाज़रा का प्रगतिशील किसान नारायण आज रह-रह कर इन महिलाओं को कीट नियंत्रण के लिए उसके द्वारा तैयार देशी कीटनाशक के बारे में बताने के लिए उतारू  था. पर अब वह आपने अमरुद के बाग़ में फलों में पाई जाने वाली सूंडी के नियंत्रण के लिए मित्र कीट व मित्र जीवाणुओं की जानकारी इन महिलाओं से जुटाना चा रहा था.महिलाओं ने भी इस किसान को बताया कि इसके लिए तो नारायण को आपने बाग़ में पारिस्थितिक-तंत्र का  विस्तार से अध्यन करना होगा. आज ही दोपहर को इण्डिया न्यूज, हरियाणा टेलीविजन चॅनल की टीम इस महिला खेत पाठशाला की कवरेज के लिए यहाँ पहुंची. अपने कैमरामैन श्री रोहताश भोला के साथ श्री सुनील मोंगा ने कड़ी मेहनत, पूरी लगन  व सच्ची आत्मतियता के साथ इस खेत पाठशाला की न्यूज तैयार की. उपरोक्त टी.वी.चॅनल ने 21 अक्तूबर, 10   को प्राईम समय पर शायं 8 :30 बजे प्रसारित किया. अगले दिन भी इस खबर को चार बार रिपीट किया गया.


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