
इसके बाद महिला किसानों एवं कृषि अधिकारियों के मध्य सवाल-जवाब व खुली बहस का सत्र आरम्भ हुआ। भिड़ते ही डा.राज सिंह ढाका ने महिलाओं से सवाल दागा- आप फसल में कीटनाशकों के इस्तेमाल का फैसला कैसे लेंगी?
इस सवाल का जवाब देने के लिए श्रीमती सुदेश खड़ी हुई और कहने लगी- हम पहले कपास के खेत में दस पौधों पर कीटों की गिनती करेंगी. प्रत्येक पौधे पर तीन पत्तों पर हानिकारक कीटों को गिनेगी. यदि हरे-तेले की २, सफ़ेद-मक्खी की ६ तथा चुरड़े की १० प्रति पत्ता औसत आये तो हम कहेगी की ये कीड़े आर्थिक कगार पर पहुँच चुके हैं. अब हम मांसाहारी कीटों का हिसाब लगायेंगी. अगर इनकी गिनती ठीक-ठाक हो तो घबराने वाली कोई बात नहीं.
बीच में ही डा. ढाका ने फिर नया सवाल दागा- क्या दुश्मन कीटों की बीज़मारी होनी चाहिए? हमें नही मालूम डा. ढाका ने क्या सोच कर महिलाओं को अपना यह सवाल यूँ समझाया- कि बीजमारी तो में पाकिस्तान की भी चाहूँ सूं!
यह सुनते ही मिनी मलिक तुरंत बोली कि सर, बीज़मारी तो क्यां-एं की भी आच्छी नही होती. अगर हानिकारक कीटों की बीजमारी हो गयी तो मांसाहारी कीट क्या खायेंगे?
अब डा.रघबीर राणा ने पूछा कि क्या निडाना की महिलाओं ने कोई देशी कीटनाशक भी बनाया और इस्तेमाल किया है?
इसका जबाब दिया राजवंती ने अक डॉ जी सौ लिटर पानी में आधी किलो जिंक, ढाई किलो यूरिया व ढाई किलो डी.ऐ.पी. का घोल बनाकर कपास की फसल पर छिडकाव करने से तेले, चुरड़े, मक्खी, माईट व चेपे जैसे छोटे-छोटे जन्नौर हमने मरते देखे सै. इस पर अपने सामने आधे से भी ज्यादा अनपढ़ महिला बैठी होने के बावजूद डा. राणा ने इस फोलियर स्प्रे के फायदे बताने शरू कर दिए. हाँ! डा. दलबीर ने जरुर महिलाओं की इस बात का बवाना के एक किसान का उद्धरण देकर समर्थन किया. अब डा. राजेश लाठर ने महिलाओं से जानना चाहा कि स्कूल ख़त्म होने के बाद इब आप अपने घरवालों कै कीटनाशकों का स्प्रे करने की खोद तो नही लाया करोगी?
या सुनकर अंग्रेजो खड़ी हुई और न्यूँ कहन लगी," मतलब नही डा.जी, पहल्यां दुश्मन कीड़े गिनागी, फेर मकड़ी पावेंगी, कराईसोपा पावैगा, हथजोड़ा पावैगा....."
अंग्रेजो अपनी बात पूरी करती, इससे पहले ही डा. ढाका बीच में कूद पड़ा अर् अंग्रेजो नै न्यूँ समझावन लागा अक आप डा. साहिब का सवाल नही समझी. डा.साहिब न्यूँ पूछना चाहवै सै अक कराईसोपा भी नही पावै, ड्रैगन फ्लाई भी नही पावै?
"पावैंगे घेल्यां", बिना क्षण गंवाएं, अंग्रेजो ने डा. ढाका की बात काटी. पूर्ण विवरण के लिए यह वीडियो देखिये: .(VIDEO: HALF DAY AMONG COTTON WOMEN-PartII)



इस दौरान मौका पा कर एक पाली डा.सुभाष से कानों-कान अपनी कपास की फसल में आई बीमारी का निदान चाहने लगा. डा.सुभाष इस समस्या का इलाज महिलाओं से पूछता इससे पहले ही इसकी भैंसे लाडो के खेत में घुस गई. फिर क्या था लाडो तौ जुट गई ताबड़तौड़ गलियां देने में - धुले को भी अर डा. साहिब को भी. आँख्यां आगै नुकशान किस पै उटे था. लाडो को बड़ी मुश्किल से चुप करवाया गया.
अब नारी-शक्ति के मौके पर प्रमाणिकरण की चर्चा करते हुए डा. साहिब ने फ़रमाया कि उस किसान के खेत में बौन्कियाँ गिर रही है. उस किसान को आप क्या समाधान बतायेंगी.

संस्काराधिन एवं स्वभावगत श्रीमति राजबाला कटारिया जींद से गरमागर्म जलेबी लेकर आई, हमेटि से कृषि अधिकारियों की टीम बर्फी लेकर आई तथा महिलाओं ने भी केलों व जलपान का जुगाड़ कर रखा था। सभी ने मिलजुल कर इस साझले जलपान का आनंद उठाया।
