Tuesday, June 22, 2010

महिला खेत पाठशाला का दूसरा सत्र

महिलाओं के साथ- डा. नीना सुहाग
सर्वेक्षण
एकाग्रता।
मंगलवार का दिन हिन्दुओं में हनुमान के नाम होता है| मंगलवार के दिन लुगाईयों की बजाय लोग ही बरती रहते है। हनुमान के मंदिर में लुगाईयों का तो प्रवेश तक वृजित होता था।  नकली या घटिया घी में तैयार प्रसाद बाँटना इस दिन शाम को आम नजारा होता है| इस दिन ज्यादातर नाई भी हनुमान जी से डर कर या श्रदावश अपनी दुकान बंद रखते हैं| परन्तु इनसे हटकर निडाना गावं में यह मंगलवार का दिन महिलाओं ने अपनी खेत पाठशाला के नाम मुकर्र किया है| आज सुबह सवेरे ही महिलायें घर के काम निपटा कर आठ बजे ही राजबाला पत्नी कर्ण सिंह के खेत में पहुँच चुकी थी| उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों का इंतजार किये बगैर ही कपास के इस खेत में पौधों का अवलोकन व् निरिक्षण शुरू कर दिया था| भूमि संरक्षण अधिकारी, डा.नीना सुहाग जब डा.सुरेन्द्र दलाल व् मनबीर के साथ इस पाठशाला में पहुंची तो महिलाएं खेत में कीटों का निरक्षण कर रही थी| सुबह सवेरे महिला अधिकारी को अपने बीच पाकर इन महिलाओं की ख़ुशी का ठिकाना नही रहा| महिलाओं ने लस्सी पिलाकर अपनी इस अधिकारी का स्वागत किया | इसके बाद इन महिलाओं ने पांच-पांच के समूह बनाए| हर ग्रुप ने अपने साथ एक-एक उत्प्रेरक लिया| एक टोली के साथ जिले के कीट विशेषज्ञ किसान मनबीर रेड्हू, दुसरे ग्रुप के साथ डा.कमल सैनी, तीसरे समूह के साथ डा.सुरेन्द्र दलाल, चौथे समूह के साथ रणबीर मालिक व् पांचवे समूह के साथ मीना मालिक थी| सभी समूहों ने दस-दस पौधों का बारीकी से निरिक्षण किया व् इन पौधों के तीन-तीन पत्तों पर कीटों की गिनती की| खेत की बाड़ पर खड़े वृक्षों की छांव में बैठकर महिलाओं ने आज की अपनी इस कार्यवाही की रिपोर्ट चार्टों पर तैयार की।  इसके बाद हर समूह ने अपने ग्रुप लीडर की मार्फत अपनी-अपनी प्रस्तुति दी| आज कपास के इस खेत में हानिकारक कीटों के रूप में सफ़ेद मक्खी, ह्ऱा-तेला, चुरडा व् मिलीबग की उपस्तिथि तो सभी समूहों ने दर्ज कराई पर इनमे से कोई भी कीट आर्थिक- दहलीज़ को पार करते हुए नही पाया गया| महिला-समूहों की इस प्रस्तुति का निचोड़ पेश करते हुए डा.कमल सैनी ने बताया की आज के दिन इस फसल पर किसी भी कीटनाशक का छिडकाव करने की कोई आवश्यकता नही है| लाभदायक कीटों के रूप में अभी तक इस खेत में सिवाय मकड़ियों के कोई भी कीट नही देखा गया| पर इस बात मीणा मलिक ने सैनी सर को याद दिलाया की आज हमने मिलीबग को परजीव्याभीत करने वाला अंगीरा भी तो देखा है| डा.दलाल ने भी इस छात्रा की हाँ में हाँ मिलाई और मौके पर सभी को अंगीरा से परजीव्याभित मिलीबग दिखाए जिनके शरीर से आटानूमा पाउडर उड़ चुका था तथा इनका शरीर लाली लिए भूरा पड़ चुका था| इस ख़ुशी की सुचना पर सभी महिलाओं ने तालियाँ बजाई| मनबीर रेड्हू ने मिलीबग की जानकारी महिलाओं को देते हुए इसकी दो खास कमजोरियों को उजागर किया| एक तो मिलीबग की मादा पंखविहीन होती है तथा दुसरे यह अपने अंडे थैली में देती है। इन दो कमजोरियों के चलते मिलीबग नाम का यह भस्मासुर आसानी से परभक्षियों का शिकार हो जाता है| राजवंती मलिक ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि हमारे ग्रुप ने तो आज पौधों की ऊँचाई भी नापी है| इस खेत में औसतन पौधों की उचाई आठ-नौ इंच पाई गई है| कार्यक्रम के अंत में डा.नीना सुहाग ने कृषि विभाग की भूमि संरक्षण शाखा द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्किम्मों बारे विस्तार से जानकारी दी व महिलाओं से वादा किया कि जब भी निडाना गावँ की महिलाएं उनके कार्यालय किसी भी कार्य से आयेंगी, वे हमेशा उनकी सेवा में तैयार पाएंगी| इस खेत पाठशाला के कार्य को नजदीक से समझने के लिए भू.पु.सरपंच बसाऊ राम के साथ रागनी गायक व लेखक राजबीर सिंह ने भी इस खेत में तीन घंटे बिताये|
बसाऊ नै बैठे-बैठे ही एक रागनी की टेक लिखने की कौशिश भी की. बोल कुछ यूँ थे-
"गधां तक बाह लिए, इब पड़गा खेत में जाना रै.
सीखूंगा भै सीखूंगा, मैं इब खेत क्यार कमाना रै"
बसाऊ तो टेक तक सिमित रह लिया पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से लेडी बिट्लों पर एक गीत घड़ लिया और इसकी पहली प्रस्तुति अपनी चहेती कीट-वैज्ञानी डा.सरोज जयपाल के सामने ही उनको समर्पित की.
पाठशाला के कार्य से निपट कर अनीता मलिक ने प्रशिक्षकों क़ी इस पूरी टीम को अपने घर पर जल-पान करवाया|

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