ललीतखेड़ा गांव में बुधवार को महिला किसान खेत पाठशाला का 
आयोजन किया गया। पाठशाला में ललीतखेड़ा, निडाना व निडानी की महिलाओं ने भाग
 लिया। महिलाओं ने कीट निरीक्षण, अवलोकन के बाद कीट बही खाता तैयार किया। 
इस बार कीट अवलोकन के दौरान महिलाओं ने कपास की फसल में मौजूद लाल बाणिये 
का भक्षण करते हुए एक नए मासाहारी कीट को पकड़ा।
|  | 
| फसल में कीटों का निरीक्षण करती महिलाएं। | 
|  | 
| महिलाओं को कीटों के बारे में जानकारी देते पाठशाला के संचालक डा. सुरेंद्र दलाल। | 
पाठशाला की मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो ने महिलाओं को बताया कि अब तक उन्होंने 
कपास की फसल में सिर्फ लाल बाणिये का खून पीते हुए मटकू बुगड़े को ही देखा 
था। मटकू बुगड़ा अपने डंके की सहायता से लाल बाणिये का खून पीकर इसके 
कंट्रोल करता था लेकिन इस बार महिलाओं ने लाल बाणिये का खात्मा करने वाले 
एक नए मासाहारी कीट की खोज की है। यह कीट इसका खून पीने की बजाए इसको खा कर
 कंट्रोल कर अपनी वंशवृद्धि करता है। अंग्रेजो ने कहा कि इससे यह बात आइने 
की तरह साफ है कि कीटों को कंट्रोल करने की जरुरत नहीं है। अगर जरुरत है तो
 सिर्फ कीटों की पहचान व इनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी जुटाने की।
 अगर किसानों को अपनी फसल में समय-समय पर आने वाले मासाहारी व शाकाहारी 
कीटों की पहचान व उनके क्रियाकलापों का ज्ञान हो जाए तो किसानों का जहर से 
पीछा छूट जाएगा। बिना ज्ञान के कीटनाशक से छुटकारा संभव नहीं है। मास्टर 
ट्रेनर मीना मलिक ने बताया कि जिस तरह अन्य क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों 
के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, वैसे ही कृषि के क्षेत्र में भी 
महिलाओं को पुरुषों के साथ आगे आना होगा। मलिक ने कहा कि विवाह, शादी जैसे 
खुशी के मौकों पर महिलाओं को अन्य गीतों की बजाए कीटों के  गीत गाने 
चाहिएं, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह मुहिम फैल सके। उन्होंने कहा कि जहर
 से मुक्ति मिलने में केवल किसानों की ही जीत नहीं है, बल्कि इससे हर वर्ग 
के लोगों को लाभ होगा। क्योंकि हमारे शास्त्रों में भी पहला सुख निरोगी 
काया का बताया गया है। जब तक इंसान स्वास्थ नहीं होगा तब तक वह किसी भी 
कार्य को अच्छे ढंग से नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों में जो भय व
 भ्रम की स्थित पैदा हो चुकी है हमें उस स्थिति को स्पष्ट करना होगा। 
किसानों को फसल में आने वाली बीमारी व कीटों के बीच के अंतर के बारे में 
जानकारी होनी जरुरी है। जब तक यह स्थित स्पष्ट नहीं होगी तब तक किसानों के 
अंदर से भ्रम को बाहर नहीं निकाला जा सकता है। सविता ने बताया कि इस समय 
उनकी फसल की दूसरी चुगवाई चल रही है लेकिन पाठशाला में आने वाली एक भी 
महिला को अब तक फसल में एक बूंद कीटनाशक की जरुरत नहीं पड़ी है। इस अवसर पर
 उनके साथ पाठशाला के संचालक सुरेंद्र दलाल, मास्टर ट्रेनर रणबीर मलिक व 
मनबीर रेढ़ू भी मौजूद थे। बराह कलां बारहा खाप के प्रधान भी मौजूद थे। 
 
No comments:
Post a Comment