| कपास के खेत कीटों का अवलोकन करती महिलाएं। | 
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 कपास की फसल में मौजूद कीटों का बही खाता दर्ज करती महिलाएं।  | 
मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो ने बही खाते में दर्ज आंकड़ों की तरफ इशारा करते 
हुए महिलाओं को बताया कि आंकड़ों के अनुसार अभी तक इस कपास की फसल में किसी
 भी प्रकार के कीटनाशक की जरुरत नहीं है। सुदेश ने महिलाओं को बताया कि कोई
 भी कीट हमारा मित्र या दुश्मन नहीं होता। इसलिए हमें कीटों को मित्र या 
दुश्मन कीटों के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। शाकाहारी कीट पौधों पर अपना 
जीवन यापन करने के लिए आते हैं और पौधों के पत्ते, फूल इत्यादि खाकर अपनी 
वंशवृद्धि करते हैं। मासाहारी कीटों को अपना जीवन यापन करने के लिए मास की 
जरुरत होती है। इसलिए वे अपना पेट भरने के लिए मास की तलाश में शाकाहारी 
कीटों के साथ-साथ पौधों पर आ जाता हैं। कोई भी कीट किसानों को नुकसान व 
लाभ पहुंचाने के लिए पौधों पर नहीं आता है। कमलेश ने बताया कि फिलहाल कपास 
के पौधों को पर्णभक्षी कीटों की सबसे ज्यादा जरुरत है। क्योंकि पर्णभक्षी 
कीट पौधों के ऊपरी हिस्सा के पत्तों में छेद कर नीचे के पत्तों के लिए 
प्रकाश संशलेषण का रास्ता तैयार करते हैं। इससे नीचे के पत्ते पौधे के लिए 
पर्याप्त भेजन बनाने में सक्षम हो जाते हैं। जिससे पौधे पर भरपूर मात्रा 
में फल आता है। लेकिन अधिकतर किसान पत्तों को कटा देखकर घबरा जाता हैं और 
कीटनाशकों के माध्यम से कीटों को कंट्रोल करने का प्रयास करते हैं। किसानों
 की इस जद्दोजहद में शाकाहारी कीटों के साथ-साथ मासाहारी कीट भी मारे जाते 
हैं। जिससे आगे चलकर फसल पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें 
कीटों को कंट्रोल नहीं पहचानने की जरुरत है।
फोटो कैप्शन
 
 
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