महात्मा गांधी ने सत्य,अंहिसा व चरखे को अपना हथियार बनाकर
देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। उसी प्रकार ललीतखेड़ा व निडाना की
महिलाएं भी बापू के रास्ते पर चलकर देश को जहर से मुक्ति दिलवाने के लिए
लड़ाई लड़ रही हैं। इस लड़ाई में विजयश्री के लिए इन महिलाओं ने कीट ज्ञान
को अपना हथियार बनाया है। महिलाओं ने कीट विज्ञान के सहारे अपना स्थानीय
कीट ज्ञान पैदाकर किसानों को एक नया रास्ता दिखाकर बापू के विचारों और
औजारों की सार्थकता को सिद्ध किया है। यह बात बराह कलां बारहा खाप के
प्रधान कुलदीप ढांडा ने कीट कमांडो महिलाओं के कीट ज्ञान की प्रशांसा करते
हुए कही। ढांडा बुधवार को ललीतखेड़ा गांव में आयोजित महिला किसान पाठशाला
में बोल रहे थे।
ढांडा ने महिलाओं की कीट ढुंढऩे की दक्षता व कौशल की महता को स्वीकार करते
हुए कहा कि कीटों से महिलाओं का पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा वास्ता रहा है।
इसके अलावा महिलाएं बारीक काम भी करती रहती हैं। इसलिए भी छोटे-छोटे कीट
इनकी पकड़ में जल्दी ही आ जाते हैं। पाठशाला में महिला किसानों ने कीटों की
गिनती, अवलोकन, सर्वेक्षण व निरीक्षण के बाद कीट बही खाता तैयार किया।
मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो ने बताया कि कीट अवलोकन के दौरान उन्होंने कपास की
फसल में काला बाणिया नजर आया है, जो कपास के फावे के बीच कच्चे बीज के पास
अपने अंड़े देता है। इसके निम्प व प्रौढ़ कच्चे बीज का रस चूसकर अपना
जीवनचक्र चलाते हैं। वैसे तो दुनिया में इन कीटों को खाने वाले कम ही कीट
देखे गए हैं, लेकिन यहां की महिलाओं ने काले बाणिये के बच्चे व अंड़ों का
भक्षण करते हुए लेड़ी बिटल का गर्भ ढूंढ़ लिया है। इसके अलावा महिलाओं ने
सुंदरो, मुंदरो नामक जारजटिया समूह के मासाहारी कीटों को भी ढूंढ़ा है।
महिलाओं ने कपास की फसल में चेपे के आक्रमण की शुरूआत के साथ ही चेपे का
भक्षण करने वाले ङ्क्षसगड़ू नामक लेड़ी बिटल के बच्चे भी देखे।
कीट ज्ञान में हासिल की माहरत
ललीतखेड़ा व निडाना गांव की महिलाओं ने अपने कीट ज्ञान में वृद्धि करने के
लिए लैंस, कापी व पैन को अपना औजार बनाया है। फसल में कीट सर्वेक्षण के
दौरान महिलाएं लैंस की मार्फत फसल में मौजूद छोटे-छोटे कीटों की पहचान कर
उनके क्रियाकलापों को अपनी नोट बुक में दर्ज कर अपने कीट ज्ञान में वृद्धि
करती हैं। अपनी सुझबुझ व पैनी नजर से इन महिलाओं ने कीट ज्ञान में माहरत
हासिल की है।
उर्वकों का कम प्रयोग कर लेती हैं अच्छा उत्पादन
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फसल में कीटों का निरीक्षण करती महिलाएं। |
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लाल बाणिये का शिकार करते हुए मटकू बुगड़ा। |
इन मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने कीट ज्ञान ही नहीं बल्कि कम उर्वरकों का
प्रयोग कर अच्छा उत्पादन लेने के गुर भी सीखे हैं। महिला किसानों द्वारा
फसल में उर्वक सीधे जमीन में डालने की बजाये उर्वरकों का घोल तैयार कर
पत्तों पर उनका छिड़काव किया जाता है। इससे उर्वरकों की बचत भी होती है और
उत्पादन में भी वृद्धि होती है। इसमें सबसे खास बात यह है कि इन महिलाओं ने
पांच माह की फसल में अभी तक एक छटाक भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया है।
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