"ऐ बीटल म्हारी मदद करो हमने तेरा ऐ सहारा है" इसी गीत के साथ महिला खेत कीट पाठशाला,ललितखेडा का आयोजन हुआ। गीत से साफ़ पता चलता है कि आज हमें इन कीटो की कितनी जरुरत है। जैसे मनुष्य का पेड़ पोधों से रिश्ता है ऐसे ही इन कीटो का मनुष्य और पोधों से है। अगर कीटो को मनुष्य और पोधो की जिंदगी से निकाल दिया जाए तो इन दोनों का जीवन चक्र अस्त व्यस्त हो जायेगा। तो इन्ही कीटो की अहमियत जानने और सबको बताने के लिए आयोजन हुआ महिला खेत पाठशाला का। वैसे तो पाठशाला चलती ही आ रही थी यह पाठशाला इसलिए अहम् थी क्योंकि इसमें आये हुए थे अतिरिक्त उपायुक्त जयबीर सिंह आर्य,दूरदर्शन केंद्र हिसार के निदेशक जिले सिंह जाखड़, जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कबड्डी फैडरेशन ऑफ इंडिया के उपप्रधान समरवीर कौशिक, एच.सी.एल. कंपनी के मैनेजर सुभाष कौशिक, डा. सुरेंद्र दलाल की धर्मपत्नी कुसुम दलाल,बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा। चूँकि ये महिला खेत पाठशाला थी तो मंच से लेकर सारे काम काज महिलाओं द्वारा ही संभाले जा रहे थे।
अतिरिक्त उपायुक्त जयबीर सिंह आर्य ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा अंधाधुध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मनुष्य का शरीर भिन्न-भिन्न प्रकार के घातक रोगों की चपेट में आ रहा है। उन्होंने कहा कि कीट प्रबंधन की जानकारी हर किसान को उपलब्ध करवाने के लिए ब्लॉक स्तर पर खेत पाठशालाएं लगाने का कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। इसके बाद इन पाठशालाओं को ग्राम स्तर पर भी आयोजित किया जाएगा। जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण ने महिलाओं के कीट ज्ञान को सराहा और कहा कि जिस तरह ये महिलाये पहली बार मंच पर बोल रही थी,उनकी हिम्मत व् जज्बा काबिले तारीफ है। कबड्डी फैडरेशन ऑफ इंडिया के उपप्रधान समरवीर कौशिक और एच.सी.एल. कंपनी के मैनेजर सुभाष कौशिक ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने उन्हें एक नई राह दिखाने का काम किया है। यहां से कीटों के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली है, वह इस जानकारी को आगे बढ़ाने का काम करेंगे तथा अपने क्षेत्र के किसानों को भी इन पाठशालाओं में शामिल कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। हिसार दूरदर्शन के केन्द्र निदेशक जिले सिंह जाखड़ ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कीट प्रबंधन एवं कीट साक्षरता अभियान चलाने वाला जींद जिला पूरे विश्व में अग्रणी है। इसके लिए अभियान के जनक डा. सुरेन्द्र दलाल का उन्होंने धन्यवाद किया और कहा कि डा. सुरेन्द्र दलाल ने लोगों को जहर मुक्त थाली प्रदान करने का जो सपना देखा था। उसे पूरा करने में दूरदर्शन की टीम पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि कीट प्रबंधन विषय पर महिलाओं द्वारा बनाए गए गीतों को रिकार्ड कर दूरदर्शन पर प्रस्तुत कर दूरदर्शन के लाखों दर्शकों को कीट प्रबंध एवं कीट साक्षरता के बारे में जागरूक किया जाएगा। जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जब तक इस काम को व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया जाए तब तक हमारी रूचि इसमें नहीं बनेगी। कुसुम दलाल ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो जहरमुक्त थाली का सपना डॉ दलाल ने देखा था, वह कुछ हद तक सफलता की राह पर है और इसके लिए मै किसानो व् उनके सहयोगी साथियों की धन्यवादी हूँ जो निरंतर इस काम को आगे बढाए हुए है। उन्होंने आगे कहा कि अगर किसान, प्रशासन, खाप प्रतिनिधि व् मीडिया अगर अपना थोडा और योगदान दे तो हमारी थाली बहुत जल्दी ही जहरमुक्त हो सकती है। कीट प्रबंधन अभियान का नेतृत्व कर रहे कमल सैनी ने कहा कि कपास सबसे नाजुक फसल है और सबसे ज्यादा कीड़े इसकी तरफ ही आकर्षित होते है इसलिए हमने पाठशाला के लिए कपास की फसल चुनी है उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा की अगर किसान 20-25 कीटों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर लें तो फसल पर हजारों की लागत में खर्च होने वाले दवाई एवं खाद के पैसे को बचाया जा सकता है और इसके साथ-साथ ही अनेक बीमारियों से भी लोगों को बचाया जा सकता है। महिला कीटाचार्य अंग्रेजो देवी, मनीषा देवी, कमलेश देवी, संतोष देवी, गीता, राजवंती, मीना मलिक, कविता, व अन्य महिला कीटाचार्य किसानों ने अपने विचार सांझा करते हुए बताया कि उन्होंने किस तरीके से कीटों की पहचान तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी जुटाई और अब वह बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए किस तरह से अच्छा उत्पादन लेकर अपने परिवार को जहरमुक्त भोजन उपलब्ध करवा रही हैं। पाठशाला के अंत में बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा ने सभी का धन्यवाद किया ।
अतिरिक्त उपायुक्त जयबीर सिंह आर्य ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा अंधाधुध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मनुष्य का शरीर भिन्न-भिन्न प्रकार के घातक रोगों की चपेट में आ रहा है। उन्होंने कहा कि कीट प्रबंधन की जानकारी हर किसान को उपलब्ध करवाने के लिए ब्लॉक स्तर पर खेत पाठशालाएं लगाने का कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। इसके बाद इन पाठशालाओं को ग्राम स्तर पर भी आयोजित किया जाएगा। जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण ने महिलाओं के कीट ज्ञान को सराहा और कहा कि जिस तरह ये महिलाये पहली बार मंच पर बोल रही थी,उनकी हिम्मत व् जज्बा काबिले तारीफ है। कबड्डी फैडरेशन ऑफ इंडिया के उपप्रधान समरवीर कौशिक और एच.सी.एल. कंपनी के मैनेजर सुभाष कौशिक ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने उन्हें एक नई राह दिखाने का काम किया है। यहां से कीटों के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली है, वह इस जानकारी को आगे बढ़ाने का काम करेंगे तथा अपने क्षेत्र के किसानों को भी इन पाठशालाओं में शामिल कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। हिसार दूरदर्शन के केन्द्र निदेशक जिले सिंह जाखड़ ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कीट प्रबंधन एवं कीट साक्षरता अभियान चलाने वाला जींद जिला पूरे विश्व में अग्रणी है। इसके लिए अभियान के जनक डा. सुरेन्द्र दलाल का उन्होंने धन्यवाद किया और कहा कि डा. सुरेन्द्र दलाल ने लोगों को जहर मुक्त थाली प्रदान करने का जो सपना देखा था। उसे पूरा करने में दूरदर्शन की टीम पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि कीट प्रबंधन विषय पर महिलाओं द्वारा बनाए गए गीतों को रिकार्ड कर दूरदर्शन पर प्रस्तुत कर दूरदर्शन के लाखों दर्शकों को कीट प्रबंध एवं कीट साक्षरता के बारे में जागरूक किया जाएगा। जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जब तक इस काम को व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया जाए तब तक हमारी रूचि इसमें नहीं बनेगी। कुसुम दलाल ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो जहरमुक्त थाली का सपना डॉ दलाल ने देखा था, वह कुछ हद तक सफलता की राह पर है और इसके लिए मै किसानो व् उनके सहयोगी साथियों की धन्यवादी हूँ जो निरंतर इस काम को आगे बढाए हुए है। उन्होंने आगे कहा कि अगर किसान, प्रशासन, खाप प्रतिनिधि व् मीडिया अगर अपना थोडा और योगदान दे तो हमारी थाली बहुत जल्दी ही जहरमुक्त हो सकती है। कीट प्रबंधन अभियान का नेतृत्व कर रहे कमल सैनी ने कहा कि कपास सबसे नाजुक फसल है और सबसे ज्यादा कीड़े इसकी तरफ ही आकर्षित होते है इसलिए हमने पाठशाला के लिए कपास की फसल चुनी है उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा की अगर किसान 20-25 कीटों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर लें तो फसल पर हजारों की लागत में खर्च होने वाले दवाई एवं खाद के पैसे को बचाया जा सकता है और इसके साथ-साथ ही अनेक बीमारियों से भी लोगों को बचाया जा सकता है। महिला कीटाचार्य अंग्रेजो देवी, मनीषा देवी, कमलेश देवी, संतोष देवी, गीता, राजवंती, मीना मलिक, कविता, व अन्य महिला कीटाचार्य किसानों ने अपने विचार सांझा करते हुए बताया कि उन्होंने किस तरीके से कीटों की पहचान तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी जुटाई और अब वह बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए किस तरह से अच्छा उत्पादन लेकर अपने परिवार को जहरमुक्त भोजन उपलब्ध करवा रही हैं। पाठशाला के अंत में बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा ने सभी का धन्यवाद किया ।